Thursday, October 8, 2020

हाथरस रेप पीड़िता को समर्पित कविता 🙏🙏

 


वह अपनी मां और भाई

संग काम में हाथ बंटाने गई थी

शायद अपनों के साथ घास काटते हुए

थोड़ा वक्त साथ बिताने गई थी

न था उसको तनिक अंदाजा

आने वाले पल का

अपने ही काम में वह मशरूफ थी

एकाएक पीछे से किसी ने मुंह दबाया

लगा घसीटने पीछे से ही

जरा भी ना घबराया

चीखने की जो कोशिश करती

पर कुछ बोल ना पाई थी

लगे दरिंदे हैवानियत करने

तोड़ दी गई हड्डी रीड की

उठकर वह भाग ना पाई थी

बेबस लाचार उस बेटी ने

अपनी इज्जत गवाई थी

कुछ कह पाती अपनों से

इस डर से, अपनी जुबान भी कटवा आई थी

देखा भाई ने जब बहन को बदहवासी में

रूह उसकी लगी चीखने

कुछ समझ ना पाया था

दौड़ता हुआ गया पुलिस के पास

न्याय की भीख मांग रहा था

जोड़ रहा था हाथों को

पर खून उसका खोल रहा था

मेरी बहन को इंसाफ मिले, कुछ ऐसे ही लफ्ज़ वह बोल रहा था

थानेदार के लिए कुछ नया था नहीं

इसलिए लापरवाही वह बरत रहा था

अस्पताल में बेहोश पड़ी बेटी का जीवन जिंदगी और मौत

के बीच जूझ रहा था

जब खबर पडी मीडिया के कानों तक

खूब राजनीतिकरण हो रहा था

9 दिन बाद जब बिटिया ने खोली आंखें

सत्य का खुलासा हो रहा था

थानेदार माफी मांग रहा था

अब प्रशासन भी हरकत में आ रहा था

लेकिन….

आज फिर एक पिता अपनी बेटी को, असमय मृत्यु शैया पर लेटा देख रहा था।

 

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Happy Republic Day