मैं टालती रहती हूं
बाहर के काम
क्योंकि
घर से बाहर जाने में
डर लगता है,
मैं मुंह पर दुपट्टा
बांध कर रखती हूं
क्योंकि
लोगों के नजरिए से
डर लगता है,
मैं मोन रहना पसंद करती हूं
क्योंकि
समाज के बेवजह उंगली
उठाने से
डर लगता है,
अपनों से नजरें नहीं मिला पाती
क्योंकि
उनके प्यार के पीछे
छुपी हवस से
डर लगता है,
अपनी ही दुनिया में
घुट-घुट कर जीने को मजबूर हूं
क्योंकि
हैवानियत भरी इस दुनिया में
खुलकर सांस लेने में डर लगता है ।
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