बरसों पहले एक रावण का संहार हुआ,
पृथ्वी पर फैला हाहाकार समाप्त हुआ,
श्री राम के हाथों एक युग का आगाज़ हुआ,
परन्तु वह रावण सिर्फ रावण ना था,
वह महाज्ञानी था, स्वाभिमानी था,
पराक्रमी और शूरवीर था,
परन्तु वर्तमान समय में रावण नए गुणों के साथ
हमारे जीवन में प्रवेश कर गया है
विडंबना है हम एक पुतले को फूंक कर
खुशियां मनाते है,
अधर्म पर धर्म की विजय का जश्न मनाते है,
अपनी आँखों पर हाथ रख कर
झूठी जय जयकार लगाते है,
लेकिन वह रावण आज भी मौजूद है
आप में मुझ में एवं संसार के प्रत्येक व्यक्ति में,
भ्र्ष्टाचार में, बेईमानी में,
बाल मज़दूरी में, सत्ता के बादशाहों की तिजोरियों में,
बहन बेटियों की लुटती आबरू में,
परिवारों में बढ़ते क्लेश में,
माया के मध में चूर बढ़ते इंसान के परिवेश में |
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