हां मैं बदल गई
कभी अंधेरे से डरती थी बहुत
अब रात को चाँद का इंतज़ार थी बहुत
कभी हंसती थी बहुत
अब शांत रहना पसंद करती हूँ
कभी रोती थी बहुत
अब शांत रहना पसंद करती हूँ
कभी समय बर्बाद करती थी बहुत
अब हर पल सपनों को बुनती रहती हूँ मैं
कभी अकेले रहने से करराती थी
अब भीड़ से हटकर चलना पसंद करती हूँ मैं
क्योंकि मैं अब बदल गई हूँ |
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